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गंगा के उफान में डूबा अमदाबाद – पूर्वी करीमुल्लापुर पंचायत समेत सभी वार्ड जलमग्न, सैकड़ों परिवार बेघर, फसलें तबाह

सड़कें टूटीं, गांव कटे, पीने के पानी का संकट, मवेशियों के लिए चारा नहीं – राहत कार्य नदारद, प्रशासन पर सवाल

कटिहार जिले का अमदाबाद प्रखंड इन दिनों भीषण बाढ़ की मार झेल रहा है। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ते-बढ़ते अब खतरनाक स्तर को पार कर चुका है। नदी के उफान ने तटवर्ती इलाकों में तबाही मचा दी है। पूर्वी करीमुल्लापुर पंचायत के साथ वार्ड संख्या 01, 03, 11, 13, 14 और आसपास के लगभग सभी गांव पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं।

गांव-गांव में चारों तरफ सिर्फ पानी का समंदर नजर आ रहा है। खेत, घर, सड़क, आंगन – सबकुछ जलमग्न। लोग बेबस होकर ऊंची जगहों, बांध किनारे और स्कूल भवनों में शरण ले रहे हैं। जिनके पास नाव है, वही अपने और पड़ोसियों को बचाने की कोशिश कर रहा है, बाकी लोग लाचार बैठे हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक बाढ़ का पानी इतनी तेजी से आया कि लोग संभल भी नहीं पाए। “हमने बस बच्चों और बुजुर्गों को उठाया और भागे, बाकी सब कुछ पानी में छूट गया,” एक महिला ने रोते हुए कहा। कई घरों के बिस्तर, बर्तन, अनाज और जरूरी कागजात बह गए। मवेशियों को बचाने के लिए लोग जान की बाजी लगा रहे हैं।

बाढ़ ने कई जगहों की सड़कों को तोड़ दिया है। गांवों के बीच का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। सरकारी नावों की संख्या बेहद कम है और प्राइवेट नाव चालकों ने किराया कई गुना बढ़ा दिया है। गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना बेहद कठिन हो गया है। कई जगहों पर लोगों को बांस की बेड़ी या लकड़ी के पटरे से नदी पार कराई जा रही है।

हैंडपंप और कुओं का पानी बाढ़ में मिल जाने से पीने का पानी दूषित हो गया है। ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे डायरिया, बुखार, त्वचा रोग और मलेरिया फैलने का खतरा तेजी से बढ़ गया है। बच्चों में बीमारी के मामले सामने आने लगे हैं। कई जगह लोग दो-दो दिन तक एक वक़्त का खाना भी नहीं खा पा रहे हैं।

मवेशियों को बचाने के लिए लोग उन्हें ऊंची जमीन और बांध किनारे बांध रहे हैं, लेकिन चारे की भारी कमी है। कई जगह मवेशियों को भूख से मरने का खतरा है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि बाढ़ की चेतावनी समय रहते मिलने के बावजूद प्रशासन ने न तो पर्याप्त नावों की व्यवस्था की, न दवा का इंतजाम किया और न ही कम्युनिटी किचन शुरू किया। राहत सामग्री कई पंचायतों तक अब तक नहीं पहुंची है। “बस फोटो खिंचवाने और बयान देने आते हैं, बाकी कुछ नहीं,” एक बुजुर्ग ने गुस्से में कहा।

जल संसाधन विभाग और मौसम विभाग के अनुसार गंगा का जलस्तर अगले कुछ दिनों में और बढ़ सकता है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो अमदाबाद प्रखंड के और गांव डूब जाएंगे और मौजूदा तबाही और भयावह हो जाएगी।

“हमारे घर गए, खेत गए, जान खतरे में है… सरकार हमारी मदद करे, वरना ये बाढ़ हमें जिंदा ही निगल जाएगी,” – एक ग्रामीण की दर्द भरी आवाज़।

अमदाबाद आज बाढ़ के भयावह संकट से गुजर रहा है। गंगा का बढ़ता जलस्तर गांवों को लील रहा है। फसलें बर्बाद, घर उजड़े, सड़कें टूटी और लोग बेघर हो गए हैं। अगर प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य नहीं तेज किए तो आने वाले दिनों में यहां मानवीय त्रासदी और गहरी हो सकती है।

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