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अमदाबाद प्रखंड_ के बारह पंचायतों में बाढ़ की मार,_ गरीबों तक नहीं पहुंची_ राहत राशि*

कटिहार /बिहार

*अमदाबाद प्रखंड_ के बारह पंचायतों में बाढ़ की मार,_ गरीबों तक नहीं पहुंची_ राहत राशि*

कटिहार जिले से एक बेहद अहम और चिंताजनक खबर सामने आई है। अमदाबाद प्रखंड के कुल बारह पंचायत आज भी बाढ़ की मार झेल रहे हैं। गंगा और महानंदा नदी के उफान से आई भीषण बाढ़ ने इन पंचायतों की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। बाढ़ से गांव-गांव में तबाही मची हुई है। न सिर्फ आम लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त है, बल्कि दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों की रोज़मर्रा की जिंदगी भी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।

 

लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ आती है, तबाही होती है, लेकिन राहत और मुआवज़े की राशि सभी प्रभावित परिवारों तक नहीं पहुंचती। कई ऐसे गरीब लाभुक हैं जिनका नाम जीआर सूची से हटा दिया गया है, तो कई परिवार ऐसे भी हैं जिनका नाम अब तक सूची में जोड़ा ही नहीं गया। यही वजह है कि बाढ़ से प्रभावित हजारों परिवार आज भी राहत और जीआर (जीवन राहत अनुदान) की राशि पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

 

इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने जिला पदाधिकारी को एक लिखित आवेदन दिया है। इस आवेदन में चार बड़े मुद्दे उठाए गए हैं—

 

🔹 पहला – सभी पंचायतों में जिन लाभुकों को अब तक जीआर राशि नहीं दी गई है, उन्हें तुरंत राहत उपलब्ध कराई जाए।

 

🔹 दूसरा – पिछले वर्षों में जिनका नाम किसी वजह से जीआर सूची से हटा दिया गया था, उन्हें दोबारा शामिल किया जाए, ताकि उनका हक मारा न जाए।

 

🔹 तीसरा – सभी पंचायतों की नई जीआर सूची तैयार कर प्रभावित लोगों को शीघ्र भुगतान किया जाए।

 

🔹 चौथा – पिछले तीन सालों से जिनका नाम सूची में नहीं जोड़ा गया है, ऐसे सभी गरीब परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर राहत राशि उपलब्ध कराई जाए।

 

ज्ञापन में साफ लिखा गया है कि इस बार 9प्रतिशत पंचायतों में लाभुकों को सूची से बाहर कर दिया गया है। नतीजा यह है कि बाढ़ प्रभावित गरीब परिवार जीआर की राशि से वंचित रह गए हैं और कर्ज़ तथा भूख की मार झेलने को मजबूर हैं।

 

लोगों का कहना है कि जब प्रशासन और सरकार चुनाव के वक्त वादे करती है, तब गांव-गांव जाकर जनता को भरोसा दिलाया जाता है कि किसी को भी बाढ़ या आपदा के समय परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन हकीकत यह है कि आज जब लोग संकट में हैं, तो राहत की राशि तक पहुंचना उनके लिए सपना बन गई है।

 

जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पर तत्काल संज्ञान लिया जाए और सभी लाभुकों तक जीआर की राशि पहुंचाई जाए। उनका कहना है कि बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि गरीबों के जीवन का सबसे बड़ा संकट बन चुकी है।

 

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासन इस पर त्वरित कार्रवाई करेगा? क्या अमदाबाद प्रखंड के सभी पंचायतों के प्रभावित परिवारों को उनका हक मिलेगा? या फिर इस बार भी गरीबों को सिर्फ आश्वासन देकर छोड़ दिया जाएगा?

 

फिलहाल, जिले भर की निगाहें जिला पदाधिकारी और उच्च प्रशासन पर टिकी हुई हैं।

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